Sunday, May 17, 2020

साँझ का सफर


साँझ का सफर
ये साँझ का सफर एहसास कईं लाता है, 
सोच की दीवार पर मिलन का पहरा लग जाता है।

चाँद सूरज की साँझ एक दिन बनाता है, 
जहां सूरज चाँद को रोशन कर के एक सुन्दर रात दिखाता है।

इश्क़ में कहाँ देखता है कोई अमीरी गरीबी,
यह रूहों की साँझ का एक अलग ही किस्सा बन जाता है। 

वो माँ का दिल भी ख़ुशी से भर जाता है,
जब बच्चा ममता की साँझ का हर फ़र्ज़ निभाता है।

ये साँझ का वक़्त ही तो पापा को घर लाता है, 
पापा के साथ ही घर का हर कोना रोशन हो जाता है।

ये अस्त सूरज ही सांझ को अपने रंग से सजाता है,
और फिर चाँद को अपने रंग में रोशन कर जाता है।

ये सांझ का सफर एहसास कई लाता है,
ये सांझ का सफर दिलकश नज़ारे दिखता है । 

20 comments:

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  2. Suppprrrbbb dii������☺️☺️

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  3. Very Beautiful Poetry Bhabhi.. 👌

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  4. 🤞👍👏👏👏👏👏👏taliyaa taliyaaa....wah ji wah

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  5. What a lines dear..keep it up..👌👌👍

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