Thursday, May 7, 2020

नर्स-एक माँ भी


नर्स-एक माँ भी 
एक नर्स ने यूँ अपना दुःख सुनाया ,
कोरोना से लड़ने का सफर कुछ यूँ बताया।
जा न पायी जो वो कितने दिन से घर ,
बच्चों को न माँ का सुख मिल पाया। 
दूर से ही देखती रही बच्चों को वो, 
की इस बीमारी ने इतना मजबूर बनाया। 
डर ये भी था की आखरी मुलाकात न हो, 
पर फ़र्ज़ के आगे कहाँ डर  टिक पाया।
रोते अपने बच्चे को दूर से हिम्मत से देखना ,
वो माँ का दिल बच्चे को चुप भी न करवा पाया। 
सोचो तो कर्मों का ये केसा नतीजा है आया, 
बिन कर्म किये बच्चों पर भी कोरोना का कहर ढाया। 
आसां नहीं की हर कोई यूँ फ़र्ज़ अपना निभाए ,
की जान को इसने फिर भी दाव पर लगाया। 
की जा कोरोना अब बहुत हो गया ,
की वो एक नर्स का बच्चा माँ के इंतज़ार में बिन खाना खाये सो गया। 
बहुत कुछ सह रही ने अभी अपना पूरा हाल भी न था बताया ,
की इतना बता कर ही उसका दिल भर आया। 
एक नर्स ने अपना यूँ दुःख सुनाया ,
कोरोना से लड़ने का सफर कुछ यूँ बताया,
कुछ यूँ बताया......

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