Saturday, June 13, 2020

चुस्की चाय की



चुस्की चाय की

अरे वक़्त निकालिये दो पल बैठ तो लीजिये,
जरा चाय की चुस्कियों का मज़ा साथ हमारे भी लीजिये

एक एक चुस्की ज़िंदगी को मुकमल सा करती है,
अरे गौर फरमाइए जरा एहसास तो कीजिये

ये  बिस्कुट को डूबा कर चाय में जनाब,
टूटने से पहले इसके, इश्क़ की बात तो कीजिये

मेहबूब की बात यारों के साथ,
सिप सिप पीते जरा अर्ज तो कीजिये

मै मुकमल कर दूँ  चाय बनाने का सबब,
जरा अदरक थोड़ा कूट कर तो दीजिये

चाय और दोस्तों का रिश्ता गहरा है,
जरा मेरे यारों के साथ चाय की बात तो कीजिये

थोड़ा वक़्त निकाल ही लीजिये जनाब अब दो पल बैठ भी लीजिये,
इस कम्बख्त चाय की चुस्कियों का मज़ा हमारे साथ भी लीजिये

Saturday, May 23, 2020

तारों की चिठ्ठी


तारों की चिठ्ठी 
की दूर आसमान तारों ने,
चिठ्ठी मुझे लिख डाली ।
दिया जवाब कुछ बातों का,
की चिठ्ठी नहीं थी खाली।

तू  बैठी यही सोचती है,
की ऊपर तेरे अपने है। 
सच है,
की सुना दे जो भी तेरे सपने हैं।

तुम बैठे किस्से हमे जो सुनाती हो, 
गए अपनों को जो बुलाती हो, 
की सब सुनते हैं,
जो तुम हमे सुनाती हो।

चिंता न किया कर यूँ, 
वक़्त है की ये भी गुजर जाएगा ।
की देख मुस्कुराता कल फिर आएगा,
वक़्त का पहिया भी घूम जाएगा ।

की तुम हाल जो हमारा पूछती हो ,
हम भी टिमटिमाते हैं, 
तुम जानती नहीं हो,
पर हम अपना हाल बताते हैं।

की दूर देश में बैठ हम, 
कभी तेरी ख्वाइशों के लिए टूट जातें हैं ।
की लिखी चिठ्ठी से हम ,
अपने दिल का हाल बताते हैं ।

की तारों के देश में बैठ,
हम अपना हाल सुनाते हैं।
जवाब तुम्हारी बातों का, 
लिखी चिठ्ठी से दे जातें हैं ।

धन्यवाद 

Sunday, May 17, 2020

साँझ का सफर


साँझ का सफर
ये साँझ का सफर एहसास कईं लाता है, 
सोच की दीवार पर मिलन का पहरा लग जाता है।

चाँद सूरज की साँझ एक दिन बनाता है, 
जहां सूरज चाँद को रोशन कर के एक सुन्दर रात दिखाता है।

इश्क़ में कहाँ देखता है कोई अमीरी गरीबी,
यह रूहों की साँझ का एक अलग ही किस्सा बन जाता है। 

वो माँ का दिल भी ख़ुशी से भर जाता है,
जब बच्चा ममता की साँझ का हर फ़र्ज़ निभाता है।

ये साँझ का वक़्त ही तो पापा को घर लाता है, 
पापा के साथ ही घर का हर कोना रोशन हो जाता है।

ये अस्त सूरज ही सांझ को अपने रंग से सजाता है,
और फिर चाँद को अपने रंग में रोशन कर जाता है।

ये सांझ का सफर एहसास कई लाता है,
ये सांझ का सफर दिलकश नज़ारे दिखता है । 

Thursday, May 7, 2020

नर्स-एक माँ भी


नर्स-एक माँ भी 
एक नर्स ने यूँ अपना दुःख सुनाया ,
कोरोना से लड़ने का सफर कुछ यूँ बताया।
जा न पायी जो वो कितने दिन से घर ,
बच्चों को न माँ का सुख मिल पाया। 
दूर से ही देखती रही बच्चों को वो, 
की इस बीमारी ने इतना मजबूर बनाया। 
डर ये भी था की आखरी मुलाकात न हो, 
पर फ़र्ज़ के आगे कहाँ डर  टिक पाया।
रोते अपने बच्चे को दूर से हिम्मत से देखना ,
वो माँ का दिल बच्चे को चुप भी न करवा पाया। 
सोचो तो कर्मों का ये केसा नतीजा है आया, 
बिन कर्म किये बच्चों पर भी कोरोना का कहर ढाया। 
आसां नहीं की हर कोई यूँ फ़र्ज़ अपना निभाए ,
की जान को इसने फिर भी दाव पर लगाया। 
की जा कोरोना अब बहुत हो गया ,
की वो एक नर्स का बच्चा माँ के इंतज़ार में बिन खाना खाये सो गया। 
बहुत कुछ सह रही ने अभी अपना पूरा हाल भी न था बताया ,
की इतना बता कर ही उसका दिल भर आया। 
एक नर्स ने अपना यूँ दुःख सुनाया ,
कोरोना से लड़ने का सफर कुछ यूँ बताया,
कुछ यूँ बताया......

Monday, May 4, 2020

खुदा की संतान

खुदा की संतान
हस्ता चेहरा,खिलती मुस्कान,
नहीं है उन्हें किसी दौलत का मान,
रिश्ते ना नातों का बोझ है, 
पर समस्या तो उनके लिए रोज़ है,
खाने की भी  दुविधा है,
ना कपड़ों की कोई सुविधा  है,
जीतें हैं  वो  सहारे  दान।
हस्ता  चेहरा, खिलती मुस्कान....

क्या हुआ जो माँ बाप का ना साया है ?
देखो उन्हें खुदा ने अपनाया है,
तुम भी खुदा का दिया खाते हो,
तो क्यों ना खुदा का ज़रिया बन जाते हो?
दो उन्हें विद्या का ज्ञान,
रह ना जाए वो ज्ञान से अनजान,
रिश्ते नाते तुम खुद उनसे बना लो,
उन्हें रिश्तों का एहसास करवा दो ,
उनके अरमानो को भी दो जान,
हस्ता चेहरा ,खिलती मुस्कान....

मत लेने दो उन्हें चोरी का सहारा,
ये एक फ़र्ज़ भी है हमारा,
कर दो कोई ऐसा काम महान,
ना रहे कोई अनाथ संतान,
खुदा की बस्ती है उनमे भी जान,
वो हैं खुदा की संतान,
हस्ता चेहरा, खिलती मुस्कान...


Thursday, April 30, 2020

एक दौर

ek daur
एक दौर
एक दौर
एक दौर में जी कर आयी हूँ,
उस दौर पर मुझको नाज़ है|
की खाली नहीं हूँ इस पल मैं,
कुछ यादें  मेरे पास हैं 

वो बचपन की यादें ले लो 
जो माँ बाबा के आँगन में खेला था 
वो भाई बहन के साथ ही तो
प्यार तकरार का मेला था 
एक दौर में जी कर आयी हूँ 
उस दौर पर मुझको नाज़ है

वो यारीआं जो साथ मेरे अब भी हैं
उनके संग बिताया वो समय बहुत अलबेला था 
हसना रोना रूठना मनाना ये बातें यार तब की हैं 
जब एक दूसरे को हमने झेला  था
एक दौर में जी कर आयी हूँ 
उस दौर पर मुझको नाज़ है

बड़ों ने प्यार और डाँट भी दी हैं 
उन्ही के पास तो खुशियों का ठेला था 
जब पागलपन में नाचे गाये थे 
तो सबके लिए वो झमेला था 
एक दौर में जी कर आयी हूँ 
उस दौर पर मुझको नाज़ है

यूँ अब भी  खुश हूँ जिंदगी में 
यहाँ भी बनानी  यादें बे हिसाब हैं 
खुश क्यों न रहूं अब की दो परिवारों का साथ हैं 
एक दौर में जी कर आयी हूँ 
उस दौर पर मुझको नाज़ है
की खाली नहीं हूँ इस पल मैं
कुछ यादें  मेरे पास हैं 



Saturday, April 25, 2020

करोना को बुलाया है


करोना को बुलाया है 

देखो पृथ्वी ने अपने दिवस पे किसे बुलाया है?

कहते है करोना,पर असल में कोविद-19 कहलाया है,

करोना पृथ्वी के लिए क्या तोफा लाया है?

शुद्ध वातावरण,साफ़ पानी, पेड़ों को राहत का साया है,

यही पृथ्वी ने करोना से तोफा पाया है।

घुटती रही हम सब के कारण आज तक,

तभी हम सबको घर में बैठाया है,

देखो पृथ्वी ने अपने दिवस पर किसे बुलाया है?



कह तो रहे हैं सब की करोना मौत का साया है,

पर देखा जाए तो साँस लेने के लिए पृथ्वी ने कुछ भार घटाया है।

पर अभी भी कौन समझ पाया है?

मुर्ख इंसानो ने बहुत लोगों पर कहर ढाया है

देखो पृथ्वी ने अपने दिवस पर किसे बुलाया है?



देखो, सोचो और समझो,

करोना हम सब के लिए भी क्या कुछ लाया है?

भागती हुए ज़िंदगी में दो पल सकूं जो तुमने पाया है।

करोना हम सबको बहुत सी सीखें लाया है,

जानवरों ने भी आजादी का जशन मनाया है,

देखो पृथ्वी ने अपने दिवस पर किसे बुलाया है?









चुस्की चाय की