चुस्की चाय की
अरे वक़्त निकालिये दो पल बैठ तो लीजिये,
जरा चाय की चुस्कियों का मज़ा साथ हमारे भी लीजिये ।
एक एक चुस्की ज़िंदगी को मुकमल सा करती है,
अरे गौर फरमाइए जरा एहसास तो कीजिये।
ये बिस्कुट को डूबा कर चाय में जनाब,
टूटने से पहले इसके, इश्क़ की बात तो
कीजिये ।
मेहबूब की बात यारों के साथ,
सिप सिप पीते जरा अर्ज तो कीजिये ।
मै मुकमल कर दूँ चाय बनाने का सबब,
जरा अदरक थोड़ा कूट कर तो दीजिये।
चाय और दोस्तों का रिश्ता गहरा है,
जरा मेरे यारों के साथ चाय की बात तो कीजिये ।
थोड़ा वक़्त निकाल ही लीजिये जनाब अब दो पल बैठ भी लीजिये,
इस कम्बख्त चाय
की चुस्कियों का मज़ा हमारे साथ भी लीजिये ।